राजनैतिक >> जो भुला दिये गये जो भुला दिये गयेश्रीप्रकाश मिश्र
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
चौरी चौरा काण्ड को काँग्रेसियों ने इतिहास के बाहर कर दिया कि उसके कारण गाँधी जी ने अपना आन्दोलन वापस ले लिया था। क्रान्तिकारियों ने उसे बाहर कर दिया क्योंकि उसमें किसी नामी-गिरामी क्रान्तिकारी हिस्सा नहीं लिया था। अँग्रेजों ने बाहर कर दिया क्योंकि वह उनकी सत्ता को सीधे ललकार गया। दुःखद यह कि उसे जन ने भी बाहर कर दिया, जबकि वह सबाल्टर्न की दृष्टि से हुआ आजादी की लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षेप था। फिर उसकी स्मृति कुछ लोगों के मन में हमेशा गूँजती रही है और नई पीढ़ी के लोग उससे जुड़े लोगों के बारे इधर काफी जिज्ञासु दिखते हैं।
इस उपन्यास में उनकी कथा के साथ-साथ गोरखपुर के इलाके में प्रांत और राष्ट्र से जुड़कर यह आजादी की लड़ाई १९२० से लेकर १९४२ तक वैसे चली थी उसकी एक झलक यहाँ मिलेगी, वहाँ मिलेगी, वहाँ के सामाजिक जीवन की तमाम छवियों के साथ। उत्तर-पूर्व को लेकर लिखनेवाले श्रीप्रकाश मिश्र के लेखन में यह उपन्यास एक नया मोड़ इंगित करता है, जो पाठकों को कई तरह से पसंद आयेगा।
इस उपन्यास में उनकी कथा के साथ-साथ गोरखपुर के इलाके में प्रांत और राष्ट्र से जुड़कर यह आजादी की लड़ाई १९२० से लेकर १९४२ तक वैसे चली थी उसकी एक झलक यहाँ मिलेगी, वहाँ मिलेगी, वहाँ के सामाजिक जीवन की तमाम छवियों के साथ। उत्तर-पूर्व को लेकर लिखनेवाले श्रीप्रकाश मिश्र के लेखन में यह उपन्यास एक नया मोड़ इंगित करता है, जो पाठकों को कई तरह से पसंद आयेगा।
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